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Lekhny Story -11-May-2024

अटल इरादा रख मन में पटल पर देख क्यों खामोश बनी? इसी विचार पर रख मन को नकल कर सका फिर क्यों आक्रोश था ?

लिखी अपनी कलम से तेरे मन को सोच रहा था एकान्त में क्यो संकोच था?

याद किसी की खासम खास थी मै रोज उसी डाल से फुल तोडता उस डाल से जिसमें कांटों का जुगाड़ था।

फुल तोड़ता उसी दाल से जिस डाल के नीचे मेरी नाजुक कली सोती थी

कांटो से आग्रह कर फुल फुल की खातिर कांटों के बीच रिस्क लेता था।

प्यार है मन में उसके खातिर पता नही डाल सूनी थी बिगेर उसके आज शातिर बना नही

फिर वो मुझसे क्यो आश बनी निगाहो की वो सदा सदा परवाज बनी

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